बीदर किला का इतिहास

बीदर किला भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक दुर्ग है, जो बहमनी शासनकाल की वास्तुकला और विरासत को दर्शाता है।

बीदर किला का इतिहास
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बीदर किला: दक्कन की वास्तुकला का एक शाही नगीना

बीदर किला, कर्नाटक के बीदर ज़िले में स्थित एक शानदार किला है, जो दक्कन सल्तनत की वास्तुकला और इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह किला सिर्फ़ एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि सदियों की कहानियों, युद्धों, और शाही भव्यता का जीवंत प्रमाण है।

निर्माण और शुरुआती इतिहास

बीदर किले का वर्तमान स्वरूप बहमनी सल्तनत के दौरान विकसित हुआ, खासकर सुल्तान अहमद शाह वली के शासनकाल में। उन्होंने 1427 में अपनी राजधानी गुलबर्गा से बीदर स्थानांतरित की और शहर को सुदृढ़ बनाने के लिए इस किले का निर्माण करवाया। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस स्थल पर पहले से ही एक प्राचीन किला मौजूद था, जिसे चालुक्य और यादव राजवंशों ने बनवाया था। बहमनी सुल्तानों ने इसे और अधिक मजबूत और विशाल बनाया।

किले के निर्माण में फ़ारसी और भारतीय वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। इसमें विशाल दीवारें, गढ़, फाटक और कई महलनुमा संरचनाएँ शामिल हैं। किले की बाहरी दीवारें लगभग 6.5 किलोमीटर लम्बी यह इमारत अभेद्य है।

बहमनी सल्तनत का केंद्र

बहमनी सल्तनत के उत्थान का केंद्र बिदर किला था। चौदहवीं से सोलहवीं शताब्दी तक, यह सल्तनत, एक महत्वपूर्ण मुस्लिम राज्य, दक्कन पर हावी रहा। यह किला मंदिरों से भरा हुआ है। जो इस काल की शाही जीवनशैली को दर्शाती हैं:

  • रंगिन महल: यह अपनी रंगीन टाइलों और लकड़ी की नक्काशी के लिए जाना जाता है।
  • तख्त महल: यह शाही निवास और सिंहासन कक्ष था।
  • सोला खंबा मस्जिद: यह किले के भीतर सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है।
  • शाही हमाम और रसोईघर: ये शाही परिवार की सुख-सुविधाओं और भव्यता को दर्शाते हैं।
  • गणेश मंदिर: किले में एक प्राचीन गणेश मंदिर भी है, जो धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है।

बहमनी के बाद की स्थिति

1527 में बहमनी सल्तनत के विघटन के बाद, बीदर किला बरिद शाही राजवंश के नियंत्रण में आ गया। बरीद शाहियों ने भी इस किले के रखरखाव और इसमें कुछ नए निर्माण में योगदान दिया। हालांकि, बाद में यह किला मुगलों, आदिल शाहियों, और अंततः निज़ामों के अधीन आया। प्रत्येक शासक ने अपनी छाप छोड़ी, लेकिन किले का मूल बहमनी स्वरूप बरकरार रहा।

पतन और पुनरुद्धार

समय के साथ, किले ने अपनी कुछ चमक खो दी, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इसके संरक्षण और जीर्णोद्धार के प्रयासों ने इसे पुनर्जीवित किया है। आज, बीदर किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो आगंतुकों को दक्कन के गौरवशाली अतीत की एक झलक प्रदान करता है।

बीदर किला दक्कन की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसकी विशालता, स्थापत्य कला और इससे जुड़ी कहानियाँ इसे भारत के सबसे आकर्षक किलों में से एक बनाती हैं।