राजस्थान की संस्कृति - रंग, रिवाज और रस्में
राजस्थान की संस्कृति अपने रंग-बिरंगे वस्त्रों, लोकनृत्य, संगीत, रीति-रिवाज, त्योहारों और खानपान के लिए प्रसिद्ध है। जानिए राजस्थान की परंपराओं और रस्मों की अनोखी झलक।

राजस्थान की संस्कृति – रंग, रिवाज और रस्में
भारत के हृदयस्थल राजस्थान की संस्कृति अपने आप में अद्वितीय, जीवंत और विविधता से भरी हुई है। यहां की परंपराएँ, रंग-बिरंगे वस्त्र, लोकगीत, नृत्य और रीति-रिवाज एक ऐसी झलक प्रस्तुत करते हैं जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। राजस्थान की संस्कृति केवल इतिहास और शौर्य गाथाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों की जीवनशैली, त्यौहारों और सामाजिक मूल्यों में भी गहराई से झलकती है।
1. रंगों का संगम
राजस्थान को “रंगों का प्रदेश” कहा जाता है। यहां के वस्त्र, आभूषण और लोक परिधान हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। महिलाएं घाघरा-चोली और ओढ़नी पहनती हैं जिनमें गोटा-पत्ती और मिरर वर्क की कढ़ाई होती है, वहीं पुरुष पगड़ी, धोती और कुर्ता धारण करते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों की पगड़ियाँ अपने खास रंग और बांधने के अंदाज़ से पहचानी जाती हैं। जयपुर की गुलाबी पगड़ी, जोधपुर की सफेद और बीकानेर की लाल पगड़ी इसका उदाहरण हैं।
2. लोकनृत्य और संगीत
राजस्थान का संगीत और नृत्य इसकी संस्कृति की आत्मा है। घूमर, कालबेलिया, गवर और गेर जैसे नृत्य यहां की पहचान हैं। ढोलक, सरंगी, कमायचा और मंजीरे जैसे वाद्य यंत्र लोकधुनों में चार चाँद लगा देते हैं। मांगणियार और लंगा समुदाय की लोकधुनें दुनिया भर में सराही जाती हैं।
3. रीति-रिवाज और रस्में
यहां की सामाजिक और पारिवारिक रस्में भी बेहद खास हैं। शादियों में मेहंदी, हल्दी, और पगड़ी बांधने की रस्में अद्वितीय होती हैं। जन्म, विवाह और त्योहारों से जुड़ी हर रस्म में लोकगीत गाए जाते हैं। विवाह समारोह में ‘पधारो म्हारे देस’ जैसी धुनें मेहमानों के स्वागत की आत्मीयता को दर्शाती हैं।
4. त्योहार और मेले
राजस्थान की संस्कृति को असली पहचान इसके मेलों और त्योहारों से मिलती है। तीज, गणगौर, दीपावली, होली और मकर संक्रांति जैसे पर्व यहां हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। पुष्कर का मेला, जैसलमेर का मरु उत्सव और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल राजस्थान को वैश्विक मंच पर सांस्कृतिक पहचान दिलाते हैं।
5. खानपान
राजस्थान का खानपान भी इसकी संस्कृति की अहम कड़ी है। दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्जी, केर-सांगरी और घेवर यहां के खास व्यंजन हैं। भोजन में मसालों का अनूठा स्वाद और देसी घी का उपयोग राजस्थान के आतिथ्य और स्वाद का प्रतीक है।
6. कला और हस्तशिल्प
मिनिएचर पेंटिंग, ब्लॉक प्रिंटिंग, नीली पॉटरी, ऊँट की खाल पर नक्काशी और संगमरमर की कलाकृतियाँ राजस्थान की कला को दर्शाती हैं। यहां के बाजारों में रंग-बिरंगे हस्तशिल्प हर किसी का मन मोह लेते हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान की संस्कृति रंगों, रिवाजों और रस्मों का अद्भुत संगम है। यहां की हर परंपरा में जीवंतता और अपनापन है। यही कारण है कि राजस्थान न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि भारतीय संस्कृति की धरोहर के रूप में पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए है।