कुंभलगढ़ के दुर्ग का इतिहास
कुंभलगढ़ दुर्ग राजस्थान का ऐतिहासिक गढ़ है, जिसे महाराणा कुंभा ने बनवाया था। यह दुर्ग महाराणा प्रताप के जन्मस्थान के लिए प्रसिद्ध है। जानिए इसके गौरवशाली

कुंभलगढ़ के दुर्ग का इतिहास – एक अभेद्य गाथा
राजस्थान की रेत से सजी धरती वीरों की भूमि रही है, और उसी वीरभूमि की गोद में बसा है कुंभलगढ़ का दुर्ग – एक ऐसा किला जिसे 'राजस्थान की चीन की दीवार' भी कहा जाता है। यह दुर्ग न केवल अपनी भव्यता और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके पीछे छुपी ऐतिहासिक गाथाएं भी इसे विशेष बनाती हैं।
स्थान
कुंभलगढ़ दुर्ग राजस्थान के राजसमंद ज़िले में अरावली पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। यह उदयपुर से लगभग 85 किलोमीटर दूर है।
निर्माण का इतिहास
कुंभलगढ़ किले का निर्माण मेवाड़ के महाराणा कुंभा द्वारा 15वीं शताब्दी (लगभग 1443 ई.) में कराया गया था। किले का निर्माण करीब 15 वर्षों तक चला। महाराणा कुंभा वास्तुकला और कला के बड़े संरक्षक माने जाते थे, और कुंभलगढ़ इस बात का जीता-जागता प्रमाण है।
इस किले की बाहरी दीवार की लंबाई करीब 36 किलोमीटर है, जो इसे भारत की सबसे लंबी और विश्व की दूसरी सबसे लंबी दीवार बनाती है।
अभेद्य रक्षा प्रणाली
कुंभलगढ़ को इस तरह डिज़ाइन किया गया था कि शत्रु उसे भेद न सके। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर है, जिससे यह आसपास के पूरे क्षेत्र पर नज़र रखता है।
इतिहासकारों के अनुसार, यह किला कभी भी सीधे युद्ध में नहीं जीता जा सका। केवल एक बार अकबर की संयुक्त सेना ने इसे छल और भोजन-जल की कमी के चलते जीतने में सफलता पाई थी।
महाराणा प्रताप का जन्मस्थान
कुंभलगढ़ को एक और ऐतिहासिक गौरव प्राप्त है – महाराणा प्रताप, मेवाड़ के महान योद्धा और स्वतंत्रता सेनानी, का जन्म यहीं 1540 में हुआ था।
मंदिरों की नगरी
इस दुर्ग के अंदर लगभग 360 मंदिर स्थित हैं, जिनमें हिन्दू और जैन मंदिर दोनों शामिल हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं:
- नीलकंठ महादेव मंदिर
- माता कुवांरी का महल
- वेदव्यास मंदिर
- पर्यटन का केंद्र
आज कुंभलगढ़ दुर्ग एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल किया गया है (राजस्थान के अन्य हिल फोर्ट्स के साथ)। हर वर्ष हजारों पर्यटक इसकी भव्यता और इतिहास को निहारने आते हैं।
रात के समय यहां होने वाला लाइट एंड साउंड शो इसकी कहानी को जीवंत करता है।
निष्कर्ष
कुंभलगढ़ का दुर्ग केवल पत्थरों की दीवार नहीं है, बल्कि यह इतिहास, साहस, संस्कृति और कला की अद्भुत मिसाल है। यह हर भारतीय को हमारे गौरवशाली अतीत की याद दिलाता है। यदि आपने अभी तक इसे नहीं देखा है, तो अगली बार राजस्थान जाएँ तो कुंभलगढ़ को ज़रूर अपनी यात्रा में शामिल करें।