हैदराबाद वन की खबर (Hyderabad Forest News)
हैदराबाद वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई। हैदराबाद के इस जंगल को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग तेज हो रही है।

हैदराबाद में हाल ही में वन क्षेत्रों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं:
कांचा गाचीबोवली वन विवाद:
हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में लगभग 400 एकड़ वन भूमि को आईटी पार्क के विकास के लिए साफ किया जा रहा था, जिससे पर्यावरणविदों, छात्रों और स्थानीय निवासियों में चिंता और विरोध उत्पन्न हुआ। इस क्षेत्र में कई वन्यजीव प्रजातियाँ निवास करती हैं, और वृक्षों की कटाई से उनके आवासों पर खतरा मंडरा रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए 3 अप्रैल 2025 को तत्काल प्रभाव से वृक्षों की कटाई और खुदाई कार्यों को रोकने का आदेश दिया। अदालत ने तेलंगाना सरकार से इस पर रिपोर्ट भी मांगी है।
हैदराबाद के जंगलों पर जीव-जंतुओं पर कई गंभीर प्रभाव पड़े हैं। कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:
1. प्राकृतिक आवास का विनाश (Habitat Loss)
- कई पक्षियों, सरीसृपों (जैसे छिपकली, साँप), कीटों और स्तनधारियों (जैसे नेवला, खरगोश) का प्राकृतिक घर उजड़ गया।
- पेड़ों की कटाई से घोंसले नष्ट हो गए, जिससे पक्षियों का प्रजनन प्रभावित हुआ।
2. खाद्य श्रृंखला में बाधा
- पेड़ों और झाड़ियों के कटने से कीड़े-मकोड़े और अन्य छोटे जीवों की संख्या घटी, जो पक्षियों और छोटे जानवरों का भोजन होते हैं।
- इसके कारण शिकारियों को भोजन मिलने में कठिनाई होने लगी।
3. मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि
- जानवरों के पास रहने के लिए जगह नहीं बची, इसलिए वे आसपास की कॉलोनियों या सड़कों की ओर जाने लगे।
- इससे सड़क दुर्घटनाओं और मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएँ बढ़ीं।
4. जैव विविधता को खतरा
- कुछ दुर्लभ और स्थानिक (local endemic) प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर आ गई हैं।
- जंगलों में रहने वाले कई छोटे जीव वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत मूल्यवान होते हैं, और उनका नुकसान पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित कर सकता है।
5. माइक्रोक्लाइमेट पर असर
- जंगलों के कटने से तापमान में वृद्धि, आर्द्रता में गिरावट और वर्षा पैटर्न में बदलाव देखने को मिल सकता है, जो सभी जीवों के जीवन चक्र को प्रभावित करता है।